Tis Choubisi Argh तीस चौबीसी का अर्घ
द्रव्य आठो, जू लीना हैं, अर्घ कर में नवीना हैं ।
पुजतां पाप छीना हैं, भानुमल जोड़ किना हैं ॥
दीप अढ़ाई सरस राजै, क्षेत्र दस ताँ विषै छाजै ।
सातशत बीस जिनराजे, पुजतां पाप सब भाजै ॥
ॐ ह्रीं पञ्चभरत-पंचैरावत-सम्बन्धी-दशक्षेत्रान्तर्गत-भुत-भविष्यत्-वर्तमान-सम्बन्धी-तीस-चौबीसी के सात सौ बीस जिनेंद्रेभ्यो-अर्घय्म निर्वपामिति स्वाहा
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Jain Bhajan Lyrics "जैन भजन लिरिक्स " is provide "Argh" "अर्घ" of "shree Tis Choubisi Ji" "श्री तीस चौबीसी जी " Bhagwan "भगवान "
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Tis Choubisi Argh | तीस चौबीसी का अर्घ
Reviewed by Prashant Jain
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09:20:00
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