श्री सुपार्श्वनाथ जी अर्घ | Shree Suparshnath ji argh
आठों दरब साजि गुनगाय, नाचत राचत भगति बढ़ाय ।
दया निधि हो, जय जगबंधु दया निधि हो ।।
तुम पद पूजौं मनवचकाय, देव सुपारस शिवपुरराय ।
दया निधि हो, जय जगबंधु दया निधि हो ।।
ॐ ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये-अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
Jain Bhajan Lyrics "जैन भजन लिरिक्स " is provide "Argh" "अर्घ " of "shree Suparshnath Ji" "श्री सुपार्श्वनाथ जी " Bhagwan "भगवान "
Jain Bhajan Lyrics "जैन भजन लिरिक्स " is provide "Argh" "अर्घ " of "shree Suparshnath Ji" "श्री सुपार्श्वनाथ जी " Bhagwan "भगवान "
श्री सुपार्श्वनाथ जी अर्घ | Shree Suparshnath ji argh
Reviewed by Prashant Jain
on
10:45:00
Rating: