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श्री पुष्पदंत जी अर्घ | Shree Pushpdant Ji Argh


श्री पुष्पदंत जी अर्घ | Shree Pushpdant Ji Argh


Pushpdant ji



जल फल सकल मिलाय मनोहर, मनवचतन हुलसाय ।
तुम पद पूजौं प्रीति लाय के, जय जय त्रिभुवनराय ।।
मेरी अरज सुनीजे, पुष्पदन्त जिनराय, मेरी अरज सनीजे ।।
ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदन्त जिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये-अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा




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श्री पुष्पदंत जी अर्घ | Shree Pushpdant Ji Argh श्री पुष्पदंत जी अर्घ | Shree Pushpdant Ji Argh Reviewed by Prince Jain on 11:01:00 Rating: 5