Shri Ajitnath Bhagwan Ji Argh | श्री अजितनाथ भगवान् जी अर्घ
जलफल सब सज्जे, बाजत बज्जै, गुनगनरज्जे मनमज्जे ।
तुअ पदजुगमज्जै सज्जन जज्जै, ते भवभज्जै निजकज्जै ।।
श्री अजित जिनेशं नुतनाकेशं, चक्रधरेशं खग्गेशं ।
मनवांछितदाता त्रिभुवनत्राता, पूजौं ख्याता जग्गेशं ।।
ॐ ह्रीं श्रीअजितनाथ जिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये-अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
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Shri Ajitnath Bhagwan Ji Argh | श्री अजितनाथ भगवान् जी अर्घ
Reviewed by Prashant Jain
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