Shri Padamprabhu ji Argh | श्री पद्मप्रभु जी अर्घ
जल फल आदि मिलाय गाय गुन, भगति भाव उमगाय ।
जजौं तुमहिं शिवतिय वर जिनवर, आवागमन मिटाय ।
मन वचन तन त्रयधार देत ही, जनम-जरा-मृतु जाय ।
पूजौं भाव सों, श्री पदमनाथ पद-सार, पूजौं भाव सों ।।
ॐ ह्रीं श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये-अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
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Shri Padamprabhu ji Argh | श्री पद्मप्रभु जी अर्घ
Reviewed by Prashant Jain
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09:24:00
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